कई राज जो दफ्न हैं इस दिल में
निकल आते हैं कभी कभी आँसू बनकर
सँजोए थे कुछ ख्वाब जो हमने आँखों में
सताते हैं वही मुझे, मेरी आरजू बनकर
मुझे देखकर लोग क्यूँ न तेरा नाम लें
तेरा हर रंग है मुझमें, मेरी खू बनकर
तेरी तलाश में अौर नही भटका जाता
चले आअो तुम मेरी जुस्तजूँ बनकर
खू- आदत
जुस्तजूँ- खोज
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