शाम ढले कहीं मिलते
चाँद के हमराह दूर तलक चलते
कुछ तुम्हारी बातें होती
कुछ हमारी बातें होती
गर होती कुछ दिल आजार बातें
तुम रूठ जाते हम मनाया करते
गवाह हो जाते वही चाँद सितारे
जमाने के सामने गर तुम इकरार करते
शाम ढले कहीं मिलते
चाँद के हमराह दूर तलक चलते
कुछ तुम्हारी बातें होती
कुछ हमारी बातें होती
गर होती कुछ दिल आजार बातें
तुम रूठ जाते हम मनाया करते
गवाह हो जाते वही चाँद सितारे
जमाने के सामने गर तुम इकरार करते
वो शख्स जिसपे तुझको गूमान बहुत है
मुझे भी उससे मिलने का अरमान बहुत है
ठहर जरा बता आऊँ जिसने मेरा छत गिराया
मेरे सर पे साये के लिए आसमान बहुत है
माँ से अपनी दुआ मिले, बीवी से वफा
जिन्दा रहने के लिए इतना सामान बहुत है