Wednesday 6 May 2015

बातें

शाम      ढले     कहीं      मिलते
चाँद के हमराह दूर तलक चलते

कुछ तुम्हारी बातें होती
कुछ हमारी बातें होती

गर होती कुछ दिल आजार बातें
तुम रूठ जाते हम मनाया करते

गवाह   हो   जाते    वही  चाँद  सितारे
जमाने के सामने गर तुम इकरार करते

Friday 1 May 2015

आसमान

वो शख्स  जिसपे  तुझको  गूमान बहुत है
मुझे भी उससे मिलने का अरमान बहुत है

ठहर जरा बता आऊँ जिसने मेरा छत गिराया
मेरे  सर  पे  साये   के लिए आसमान बहुत है

माँ  से  अपनी  दुआ मिले, बीवी  से  वफा
जिन्दा रहने के लिए इतना सामान बहुत है