शाम ढले कहीं मिलते चाँद के हमराह दूर तलक चलते
कुछ तुम्हारी बातें होती कुछ हमारी बातें होती
गर होती कुछ दिल आजार बातें तुम रूठ जाते हम मनाया करते
गवाह हो जाते वही चाँद सितारे जमाने के सामने गर तुम इकरार करते
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