Friday 18 March 2016

ख्वाहिश

वो    गुलाब   है    उसे   हल्का-हल्का   महका   करूँ
वो   बहार   है   साथ  उसके   गुलों  सा  खिला  करूँ।

वो  आवाज  है  दिल  की  उसे दिल से मैं  सुना  करूँ
वो बात है मोहब्बत भरी उसे हर किसी से कहा  करूँ।

वो  प्यार से मुझे सुना करे जब ग़ज़ल उसे सुनाया करूँ
वो  बैठी  रहे  सामने मेरे  उसे देख-देख मैं बहका करूँ।

वो तरन्नुम है सुकून का उसे वक़्त-बेवक़्त मैं छेड़ा करूँ
वो  साज़  है  गीत  का  लबों  से  उसे  गुनगुनाया  करूँ।

वो ऐतबार मुझपे किया करे मैं प्यार उससे किया करूँ
और  जब  वो  पूछा करे  मैं  दिल  खोल के रखा करूँ।।

-मो नूरुल नबी अंसारी

No comments:

Post a Comment