एक नजरिया ये भी !
Tuesday, 28 March 2017
निशाना
जाने कौन मेरे
निशानों
में था
हाथ किसका मेरे कांधों में था।
तीर छूटा तो ये सदा आई
मेरा मुखालीफ मेरे यारों में था॥
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