Thursday, 23 April 2015

बाजी़

हमें दौड़ना ही था उम्र भर एक ग़ज़ाल के पीछे
तेरी कब़ा में तो कुछ सितारे भी थे

किस बिना पर अपने हक़ के लिए हुज़्ज़त करते
एक बाजी तो हम उससे हारे भी थे ll

ग़ज़ाल- mirage
कब़ा- झोली

Saturday, 18 April 2015

राज

कई    राज     जो दफ्न हैं इस  दिल  में
निकल आते हैं कभी कभी आँसू बनकर

सँजोए थे कुछ ख्वाब जो हमने आँखों में
सताते  हैं  वही मुझे, मेरी आरजू  बनकर

मुझे  देखकर  लोग  क्यूँ  न  तेरा नाम लें
तेरा  हर  रंग  है  मुझमें,  मेरी  खू बनकर

तेरी  तलाश  में  अौर  नही भटका जाता
चले  आअो  तुम  मेरी  जुस्तजूँ   बनकर

खू-  आदत
जुस्तजूँ- खोज

Wednesday, 15 April 2015

इशारा

कभी दिल से दिल मिला कर तो देख
सांसें थम न जाये तो कहना, धड़कनें बढ़ न जाये तो कहना ।

सिर्फ एक इशारा ही काफ़ी है
ये पागल मर न जाये तो कहना ।

हम मुन्तज़िर हैं कि कब तू इक़रार करे ।
तेरे इश्क़ फिर में हद से गुजर न जाये तो कहना  ।

 न डर ज़माने से तू मुझे बुला तो सही
तुझे लेने तेरे घर न जाये तो कहना ॥

Sunday, 12 April 2015

आरजू

दिल  ने सीख  लिया  हर बात पे मचलना
आरजूएं थका देती हैं कहां तक है चलना

उलफत-ए-हयात  की ये कशमकश कैसी
जीना    अच्छा     लागे    है    न    मरना

हयात- जिन्दगी

Saturday, 11 April 2015

ईद

तेरे एहसास से खाली न कोई दिन गुजारा है
न तेरे ख्वाब से खाली कोई  निन्द  गुजारा है

तू सह  न सका हमसे  एक  पल  की जुदाई
तेरी   हिज्र  मे   हमने  कई   ईद   गुजारा है

हिज्र- जुदाई

Thursday, 9 April 2015

मर्ज

रोये बहुत हम तो पर जी कुछ हल्का न हुआ
मेरे  मर्ज का  अब  तक  कुछ  दवा  न  हुआ

आईए हमारे बेबसी का तमाशा देख लीजिए
क्या   कहिएगा   कि   कुछ   मजा   न  हुआ

उम्र  भर  जो अपने  पारशाई  का दावा किए
उन्हीं  से सरजद अब तक कुछ वफा न हुआ

अब  इंसाफ की किसे उम्मीद है इस वतन मे
वतन  के  गद्दारों  को जब कुछ सजा न हुआ

Wednesday, 8 April 2015

पागल

चाहोगे उसे इतना तो     बदल जाओगे
दुनिया की नज़र में पागल कहलाओगे

क्यूं   करते   हो   ज़िद       बच्चों    सा
चांद  पर  क्या  तुम      पैदल  जाओगे

चलो समझा लो दिल को    क्यूं रोते हो
करोगे  कोशिश  तो    सम्भल  जाओगे

मत चाहो उसे कि    वो शम्स-सिफ़त है
जाओगे नजदीक उसके तो पिघल जाओगे

मेरे मनाने से "आशिक" मानता हीं नही
क्यूं समझाने अब तुम  "सजल" जाओग

(सजल)

Tuesday, 7 April 2015

दरबदर

क्यूँ न जाने हुक्कामों ने उसे दरबदर कर दिया
हालाँकि शहर में वो किसी से कमतर न था ।।